जानिए नये RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा कौन है ? क्या भारत की हिचकोले लेती वित्तीय स्थिरता को मिलेगी नई रफ्तार?
वर्तमान राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा बनेंगे RBI के नये 26 वें गवर्नर , जो कि शशिकांत दास कि जगह लेंगे।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को आरबीआई के नये गवर्नर के रूप में नियुक्ति दी है। वे अगले तीन साल कि अवधि के लिए इस पद पर रहेंगे। चूंकि 10 दिसंबर को वर्तमान आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास का कार्यकाल पूरा हो रहा है । इसलिए संजय मल्होत्रा 11 दिसंबर से पदभार संभालेंगे।
शशिकांत दास को 12 दिसंबर 2018 में तत्कालीन केन्द्रीय बैंक प्रमुख ऊर्जित पटेल द्वारा इस्तीफा देने के बाद बनाया गया था। इसके बाद 2021 में शशिकांत दास को तीन साल का अतिरिक्त कार्यप्रभार मिला जिसकी वजह से श्री दास दूसरे सबसे लंबे समय तक आरबीआई गवर्नर रहे।
नये आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा कौन है ?
राजस्थान के बीकानेर से संबंध रखने वाले संजय मल्होत्रा , राजस्थान कैडर के 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर विज्ञान में स्नातक और प्रिंसटन विश्वविद्यालय (अमेरिका ) से पब्लिक पॉलिसी में स्नातकोत्तर कि डिग्री प्राप्त की है।
अपने 30 साल के शानदार करियर में श्री मल्होत्रा ने पावर , फायनेंस , आईटी और माइंस जैसे विभिन्न विभागों में सेवाएं दे चुके हैं। मल्होत्रा को राजस्थान के लगभग सभी विभागों में कार्य करने का अनुभव है। अतीत में उन्होंने आरईसी में अध्यक्ष के रूप में काफी शानदार काम किया था। वर्तमान में वे केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में सचिव के पद पर कार्यरत थे । जहाँ उन्होंने टैक्सों से संबंधित नीति बनाने में अभूतपूर्व कार्य किए हैं। राज्य और केंद्र के वित्त विभाग में लंबे समय तक काम करने के कारण उन्हे व्यापक वित्तीय अनुभव है , जिसका लाभ निश्चित रूप से भविष्य में आरबीआई को होगा।
मल्होत्रा, पीएम के पसंदीदा अफसरों में से एक हैं
एक सुधारवादी और रचनात्मक अफसरों में गिने जाने वाले संजय मल्होत्रा , पीएम नरेंद्र मोदी के पसंदीदा अफसरों में से एक हैं। बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में संजय मल्होत्रा , कैबिनेट के प्रमुख पदों पर रहे हैं। कहा जाता है कि संजय मल्होत्रा किसी विषय में अपनी राय रखने से पहले उस विषय में काफी गहरा अनुसंधान करते हैं , जिसके बाद उसका ब्लू प्रिन्ट तैयार कर प्रजेंटेशन देते हैं। प्रधानमंत्री के सामने जब वे किसी चीज का खाका रखते हैं तो पीएम बड़ी ध्यान से उनकी बात को सुनते हैं। भारत के टैक्स रेवेन्यू को बढ़ाने में संजय मल्होत्रा के नीति का व्यापक प्रभाव माना जाता है।
गवर्नर के समक्ष होगी नई चुनौतियाँ
हाँफ रही अर्थव्यवस्था और लगातार कमजोर होते रुपये के बीच में नये गवर्नर के लिए सब कुछ आसान नहीं होने वाला। क्योंकि भारत अभी घटती जीडीपी दर और बढ़ती महंगाई के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहा है। जिसकी वजह से आरबीआई पर लगातार ब्याज दर में कमी करने का दबाव है। यह दबाव और अधिक तब बढ़ जाता है जब जुलाई – सितंबर तिमाही में जीडीपी दर 5.4 फीसदी तक पँहुच जाए , जो कि पिछले सात तिमाहियों में सबसे कम है। दास के कार्यकाल में रिजर्व बैंक ने महंगाई का हवाला देते हुए दो वर्षों तक ब्याज दर को अपरिवर्तित रखा था ।
अर्थशास्त्री मानते हैं कि विकास दर में गिरावट जारी रहती है तो निश्चित रूप से ब्याज कि दरों को कम करना पड़ेगा। ब्लूमर्ग सर्वेक्षण के अनुसार अनुमान है कि केन्द्रीय बैंक अगले साल फरवरी में ब्याज दरों में कमी शुरू कर देगी। हालांकि फरवरी में कितना कटौती किया जाता है यह अभी से अनुमान लगाना मुश्किल है।
बहरहाल यह देखना होगा कि संजय मल्होत्रा जब फरवरी में MPC मीटिंग कि अध्यक्षता करेंगे तो क्या निर्णय लेते हैं। हालांकि उन्होंने अपनी गवर्नर कि नियुक्ति के ठीक पहले राजस्व अधिकारियों से बात करते हुए अधिक राजस्व के लिए उद्योगों को भारी मांग नोटिस जारी करते समय , अर्थव्यवस्था के हित को आगे रखने कि बात कही है।
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