हिमाचल प्रदेश की केंद्र सरकार ने की अनदेखी; पर्यटन पर पड़ेगा प्रभाव

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राज्यों में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू कि गई केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना ‘स्पेशल असिस्टेंट टू स्टेटस फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट स्कीम ’ के तहत 23 राज्यों को 3296 करोड़ जारी किए गए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इन 23 राज्यों में हिमाचल का नाम नहीं है जहाँ कि अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि के बाद पर्यटन से जुड़ी हुई है।

राज्यों में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू कि गई केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना ‘स्पेशल असिस्टेंट टू स्टेटस फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट स्कीम ’ के तहत 23 राज्यों को 3296 करोड़ जारी किए गए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इन 23 राज्यों में हिमाचल का नाम नहीं है जहाँ कि अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि के बाद पर्यटन से जुड़ी हुई है।

सांसद महोदय ने योजना का खूब  महिमा मंडन किया :

इस संदर्भ में पूर्व केन्द्रीय मंत्री व वर्तमान सांसद अनुराग ठाकुर ने ट्वीटर (एक्स ) पर लाभान्वित 23 राज्यों कि सूची को पोस्ट कर योजना का खूब  महिमा मंडन किया, लेकिन अनुराग ठाकुर यह भूल गए कि इस योजना का महिमा मंडन करने के बजाय, सरकार से पूछना चाहिए था कि हिमाचल को इस योजना में क्यों शामिल नहीं किया गया। इसके बावजूद कि हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग की ओर से इस फंड के लिए केंद्र को प्रोजेक्ट भी भेजा गया था।

पड़ोसी राज्य को अनुदान, लेकिन हिमाचल के सौतेला व्यवहार क्यों :

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिए अगस्त में पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष रघुबीर सिंह बाली ने केन्द्रीय पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से मिलकर मदद के लिए कुछ पैकेज की मांग कि थी, जिससे आधारभूत ढांचे में परिवर्तन किया जा सके। इसके बावजूद हिमाचल को इस 23 राज्यों की सूची में शामिल नहीं किया गया है, वहीं पड़ोसी राज्य पंजाब और उत्तराखंड को 150 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है।

तो क्या केंद्र की ओर से हिमाचल के लिए यह सौतेला व्यवहार नहीं है ? क्या अनुराग ठाकुर को राज्य के हित में अपनी पार्टी ( केंद्र सरकार ) से सवाल नहीं पूछना चाहिए कि इस योजना में राज्यों को शामिल करने के लिए आखिर ऐसी क्या पैमाना है, जिस पर हिमाचल फिट नहीं बैठती ? लेकिन नेता जी सवाल पूछने और राज्य को अनुदान दिलाने के बजाय योजना कि तारीफ करते नहीं थक रहे।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अनुराग ठाकुर सिर्फ तभी राज्य में विकास चाहते हैं जब डबल इंजिन की सरकार हो। क्या नेताओं में यह सहिष्णुता नहीं होनी चाहिए कि सरकार किसी कि भी हो हिमाचल और हिमाचल वासियों का विकास ही सर्वोपरि है।

पर्यटन ही राज्य की रीढ :

गौरतलब है कि हिमाचल कि अर्थव्यवस्था पर टूरिज़्म का एक बड़ा योगदान होता है। तकरीबन ढाई लाख परिवारों की रोजी रोटी पर्यटन पर निर्भर है। राज्य के जीडीपी का लगभग 8 फीसदी हिस्सा पर्यटन से आता है। यह आँकड़े पर्याप्त है यह बताने के लिए कि हिमाचल के लिए पर्यटन कितना महत्वपूर्ण है।

पहले से ही राज्य में ‘हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम’ अपनी बढ़ती देनदारियों के कारण घाटे मे है। ऊपर से एशियन डेवलपमेंट बैंक जैसी बाहरी एजेंसियों के माध्यम से मिलने वाली प्रोजेक्ट के ऊपर भारत सरकार ने कैपिंग लगा रखी है। इसके बावजूद हिमाचल को स्पेशल असिस्टेंट टू स्टेटस फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट स्कीम में शामिल नहीं करना आर्थिक पाबंदी जैसा है।

अनुराग ठाकुर सहित तमाम हिमाचल के नेताओं को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्य के हितों के लिए आवाज उठानी चाहिए। पर्यटन क्षेत्र में निवेश की कमी न केवल वर्तमान आर्थिक स्थिति को कमजोर करेगी, बल्कि भविष्य में राज्य के विकास को भी प्रभावित करेगी। ऐसे में यह जरूरी है कि केंद्र सरकार राज्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए हिमाचल को विकास के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हो।

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