सूक्खू सरकार का रिपोर्ट कार्ड: वादे बड़े – नतीजे छोटे ?

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सूक्खू सरकार लगातार आलोचनाओं का सामना करते हुए जैसे तैसे अपने दो साल पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर सरकार ने भव्य जश्न के माध्यम से अपनी उपलब्धियों का बखान किया। लेकिन सरकार अपने तथाकथित सफलता के बावजूद अनेक विफलताओं से घिरे हुए हैं।  विगत वर्षों मे सरकार के लिए उनके अपने अधूरे चुनावी वादे, पार्टी के भीतर आपसी कलह जैसी समस्याएं सूक्खू सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई है।

सूक्खू सरकार लगातार आलोचनाओं का सामना करते हुए जैसे तैसे अपने दो साल पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर सरकार ने भव्य जश्न के माध्यम से अपनी उपलब्धियों का बखान किया। लेकिन सरकार अपने तथाकथित सफलता के बावजूद अनेक विफलताओं से घिरे हुए हैं।  विगत वर्षों मे सरकार के लिए उनके अपने अधूरे चुनावी वादे, पार्टी के भीतर आपसी कलह जैसी समस्याएं सूक्खू सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई है।

2022 में हिमाचल कि जनता ने बड़ी उम्मीद के साथ तत्कालीन जयराम ठाकुर की सरकार को बाहर का रास्ता दिखाकर कांग्रेस पार्टी के ऊपर भरोसा दिखाया, लेकिन बहुत जल्द ही लोगों में नई सरकार के प्रति असंतोष दिखने लगा, जिसका उदाहरण लोकसभा चुनाव में भी दिखा।

2 वर्षों में सूक्खू सरकार का साधारण प्रदर्शन, बढ़ती महंगाई और बेरोजगार होते युवक के साथ – साथ हिमाचल में शराब ठेके में अनियनमितता जैसे अनेक भ्रष्टाचार के आरोप के बाद निश्चित रूप से सरकार चारों तरफ से घिरी हुई है। हालांकि सरकार अपने सुशासन का उदाहरण देते हुए तमाम दावे करती है, लेकिन हकीकत यह है कि हिमाचल में उद्योगपति से लेकर हाशिये पर खड़े लोग सरकार के अधिकतर फैसले से संतुष्ट नहीं हैं।

हिमांचल में नशीली दवाओं का बढ़ता खतरा

हिमाचल के युवा बड़े तेजी से नशा की ओर बढ़ रहे हैं। वर्तमान सरकार के लिए नशीली दवाओं का बढ़ता प्रचलन सबसे प्रमुख चुनौती मे से एक है। नशीली दवाओं के उपयोग से आपराधिक गतिविधियाँ भी बढ़ी है। कुल्लू, मनाली, मंडी के क्षेत्रों में नशीली दवाओं के तस्करी की खबर एकदम आम बात हो गई है। इसके बावजूद सरकार की ओर से कोई सार्थक प्रयास नहीं किया जा रहा।

सरकारी कर्मचारियों में बढ़ता असंतोष

माना जाता है कि हिमाचल मे कांग्रेस सरकार को सत्ता में लाने के लिए सरकारी कर्मचारियों का बड़ा योगदान रहा, लेकिन 2 वर्ष बीतने के बाद भी कर्मचारी अपनी रुके हुए पदोन्नति का  इंतजार कर रहे हैं। सरकारी कर्मचारी के लिए ओपीएस भी एक बड़ा मुद्दा है। जिसके लिए किसी भी तरह का बिल पारित नहीं करना, ओपीएस के मामले मे सरकार कि विश्वसनीयता के ऊपर सवाल खड़ा करती है। इसके अलावा सरकार ने अलग – अलग विभागों के सैकड़ों आउटसोर्सिंग के पद को खत्म कर दिया। सरकार रोजगार के नये अवसर उपलब्ध कराने के बजाय उपलब्ध रोजगार को ही खत्म करने पर तुली है जो कि लोगों में सरकार के प्रति असंतोष को बढ़ावा देती है।

महिलाओं की स्थिति चिंताजनक

तुलनात्मनक रूप से हिमाचल में महिलाओं तास्थिति अच्छी मानी जाती रही है । लेकिन बीते कुछ वर्षों में हिमाचल में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। 2024 के शुरुआती 8 महीने में ही महिलाओं के खिलाफ रेप के 210 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके बावजूद सूक्खू की सरकार अभी तक महिला आयोग मे रिक्त पदों को भर नहीं पाई है, जिसकी वजह से आयोग में 1500 शिकायत लंबित है। इसके अलावा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए चलाए जा रहे ‘सम्मान निधि योजना ‘ मे अभी तक सिर्फ 28 हजार महिला ही लाभान्वित हो पाई है।

बढ़ते भ्रष्टाचार

सूक्खू सरकार में अब कोइ नई बात नहीं कि यहाँ भ्रष्टाचार का बोलबाला है। राशन घोटला, कबाड़ खरीद घोटाला, अपने करीबियों को टेंडर, कांगड़ा बैंक घोटाला, ग्रीन एनर्जी घोटाला, शराब ठेके मे अनियमितता जैसे 20 से अधिक आरोप लगे हैं। जिसमें अनेक भ्रष्ट अधिकारियों को सरकार की ओर से समर्थन देने कि बात कही जाती है। सरकार के ऊपर यह भी आरोप है कि जो अधिकारी सरकार के भ्रस्टाचार में साथ नहीं उनका सरकार के साथ ही संघर्ष शुरू हो जाता है। जिसमें आईपीएस इल्मा अफ़रोज और वन अधिकारी डीएस डढ़वाल का मामला काफी हाइलाइट है।

इसके अलावा हिमाचल में बढ़ती बेरोजगारी दर, हाशिये पर खड़े लोगों के साथ अन्याय, बढ़ते क्राइम दर के साथ – साथ राज्य की खराब आर्थिक स्थिति जैसे अनेक समस्याएं है, जिसके लिए सरकार के पास न तो कोई समाधान है न ही सरकार के स्तर पर अभी तक इसके लिए कोई सार्थक हल ढूँढने का प्रयास किया गया है।

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